Tuesday 9 September 2014

आज का मुद्दा: क्या केश रंगा तो कीर्तन ...




नई दिल्ली। जिन महिलाओं के बाल रंगे हों वो गुरुद्वारे में कीर्तन नहीं कर सकतीं। अमृतसर के एक गुरुद्वारे में कुछ महिलाओं को कीर्तन करने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वो बालों पर डाई करके आईं थीं। सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस फैसले का समर्थन किया है। लेकिन एसजीपीसी के इस फैसले का सिख समाज में ही विरोध हो रहा है।


सिख समुदाय की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र स्वर्ण मंदिर। यहां हरमिंदर साहब के दर्शनों के लिए जितनी तादाद में पुरुष आते हैं उससे कम महिलाएं नहीं होतीं। लेकिन अब स्वर्ण मंदिर जाने वाली और शबद कीर्तन में शरीक होने वाली महिलाओं को अपनी साज-सज्जा का खास ख्याल रखना होगा। एसजीपीसी ने फरमान सुनाया है कि केश रंगने वाली महिलाएं गुरुद्वारे में जाकर नहीं कर सकतीं।


स्वर्ण मंदिर के मैनेजर प्रताप सिंह का कहना है कि सिख रहत मर्यादा के मुताबिक ऐसी महिलाओं को कीर्तन करने की इजाजत नहीं है। महिलाओं से कई बार कहा गया कि वो बालों को कलर करना छोड़ दें। अगर वे बाल कलर करना छोड़ देतीं तो उन्हें कीर्तन करने दिया जा सकता है।


दरअसल ये विवाद अमृतसर के गुरुद्वार संतोखसर साहिब से शुरु हुआ। ये गुरुद्वारा पांचवें गुरु श्री अर्जुन सिंह जी की याद में बनाया गया है। इस गुरुद्वारे में महिलाएं काफी समय से कीर्तन करती आ रही थीं। लेकिन बीते बुधवार को अचानक उन महिलाओं के कीर्तन करने पर पाबंदी लगा दी गई जो केश रंग कर आईं थीं। हालांकि जिस मर्यादा की दुहाई दी जा रही है उस पर सिख महिलाएं ही सवाल उठा रही हैं। एसजीपीसी की सदस्य किरण ज्योत कौर ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुरुषों की दाढ़ी रंगने पर तो मनाही है, लेकिन औरतों के लिए ऐसी कोई मनाही नहीं।


एसजीपीसी पर दोहरे मानदंड अपनाने के भी आरोप लग रहे हैं। उनका कहना है कि एसजीपीसी के सदस्यों ने भी अपने केश रंगे हुए हैं। यही नहीं एसजीपीसी सदस्यों के बच्चों ने दाढ़ी भी नहीं रखी। लेकिन जब अपनी बात आती है तो लोग संगत की मर्यादा भूल जाते हैं।


ऐतिहासिक संतोखसर साहिब में केश रंगने वाली महिलाओं को कीर्तन सेवा से रोका गया। SGPC के इस रुख पर बहस शुरू हो गई है। आज IBN7 पर बहस का मुद्दा यही था- केश रंगा तो कीर्तन नहीं। इस मुद्दे पर बहस में हिस्ला लिया दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष हरविंदर सिंह सरना, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य सरदार रवेल सिंह, सिख श्रद्धालु हरमीत कौर चावला, धर्म प्रचार कमेटी के पूर्व चेयरमैन तरसेम सिंह, साहित्यकार मैत्रयी पुष्पा और सिख श्रद्धालु मोहिंदर कौर।


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