नई दिल्ली। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का भारत दौरा भारत-चीन संबंधों को कहां तक ले गया है, ये सबसे बड़ा सवाल है। क्योंकि एक तरफ भारत चीन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा था, दूसरी तरफ चीनी सैनिक लद्दाख के चुमार में घुसपैठ कर रहे थे। ऐसे में फिर वही सवाल मौजूद रहा कि चीन आखिर चाहता क्या है? क्या उसे सीमा विवाद सुलझाने की कोई परवाह नहीं?
शी चिनफिंग भारत का दौरा करने वाले तीसरे चीनी राष्ट्रपति हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने चिनफिंग की शानदार आगवानी की। दोनों ने अहमदाबाद में पूरा एक दिन बिताया। ऐसी मेहमाननवाजी अब तक चीन के किसी भी नेता को नहीं मिली है। दोनों तरफ से गिफ्ट का आदान-प्रदान भी हुआ। लेकिन इस दौरान भारत का जायका इस बात पर खराब होता रहा कि लद्दाख से घुसपैठ की खबरें आती रहीं। फ्लैग मीटिंग का भी कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या चीनी सैनिकों की घुसपैठ सोची समझी रणनीति थी। क्या इसे कुछ दिन टाला नहीं जा सकता था।
बहरहाल, दूसरे दिन दिल्ली में मोदी-चिनफिंग की बातचीत हुई और कल 12 मुद्दों पर व्यापारिक समझौते हुए। इसका फायदा दोनों देशों को मिलेगा। लेकिन क्या व्यापारिक संबंधों की खातिर भारत चीनी सैनिकों की हरकतों की नजरअंदाज करता रहेगा। हमेशा की तरह इस बार भी चीन ने घुसपैठ पर गोलमोल जवाब ही दिया। एक तरह मोदी कहते रहे कि सीमा विवाद सुलझाना ही होगा, दूसरी तरफ चिनफिंग ने इसका समाधान निकालने की बात कही। इस तरह के बयान पहले भी चीन की तरफ से आ चुके हैं।
दरअसल, चीन एक ऐसा देश है जिसे साध पाना बेहद मुश्किल है। अगर आपका पड़ोसी चीन जैसा शक्तिशाली और विस्तारवादी देश है, तो उससे द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की जरूरत पड़ती है। लेकिन भारत के सभी प्रयास नाकाफी साबित होते दिख रहे हैं। चीन व्यापार बढ़ाने के नाम पर सीमा विवाद को ठंडे बस्ते में डालता आ रहा है। उसके सैनिक आए दिन घुसपैठ को अंजाम दे रहे हैं।
भारत-जापान की नजदीकियों को चीन खास पसंद नहीं करता है। मोदी के जापान दौरे पर चीन की बारीक निगाह रही है। जापान के साथ भी चीन का जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। साथ ही अमेरिका के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी की कोशिशें भी चीन से छुपी हुई नहीं है। उधर, वियतनाम के साथ भी भारत के अच्छे संबंध हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी वियतनाम दौरा करके आए हैं। गौर करने लायक बात है कि वियतनाम के साथ भी चीन का सीमा विवाद चल रहा है।
इन तथ्यों के मद्देनजर शी चिनफिंग के दौरे के समय चीनी सैनिकों की घुसपैठ को क्या समझा जाए? क्या ये चीन की सोची समझी रणनीति है? क्या चीन भारत को संदेश देना चाहता है कि सीमा विवाद सिर्फ चीन ही सुलझा सकता है कोई और नहीं? अमेरिका-जापान जैसे देश इसमें कुछ नहीं कर सकते। भारत को इसके लिए चीन से ही बात करनी होगी। अगर चीन अपने राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान घुसपैठ को अंजाम दे सकता है, तो सोचा जा सकता है कि वो सीमा विवाद पर अपनी मनमानी को लेकर कितना दुस्साहसी हो सकता है।
बहरहाल, तमाम सवालों के बीच भारत और चीन के बीच इस वार्ता के दौरान कुल बारह समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें कैलाश मानसरोवर के लिए नया रूट खोलने, रेलवे को मजबूत करने जैसे महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं। जबकि सीमा विवाद पर मोदी ने इसे सुलझाने की बात कही तो चीन इस पर बातचीत आगे बढ़ाने की पुरानी रट लगाए रहा। यानि चीन भारत आकर भी बिना ठोस जवाब दिए निकल गया।
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