नई दिल्ली। सहारा ग्रुप के मुखिया सुब्रत राय को कुछ दिन और जेल में गुजारने पड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की नई पेशकश ठुकरा दी है। सहारा ने गुहार लगाई कि वो एक साल तीन माह के भीतर निवेशकों का पैसा किस्तों में लौटाने को तैयार है लेकिन कोर्ट ने कहा कि ये प्रस्ताव देर से उठाया हुआ नाकाफी कदम है।
शुक्रवार सुबह से सहारा के वकील तीन बार कोर्ट के सामने हाजिर हुए। हर बार खुद को लाचार बताते हुए रहम की गुहार लगाई। कहा कि ऐसी स्थिति में कोई भी उन्हें कर्ज देने को तैयार नहीं। लिहाजा अपनी संपत्ति को बेचने के लिए कोर्ट उन पर लगी रोक हटाए। सहारा ने नए प्रस्ताव में कहा कि सहारा तीन दिन के अंदर दो हजार पांच सौ करोड़ रुपया सेबी में जमा करेगा। हर तीन महीने में इतनी ही रकम अदा की जाएगी। इस तरह एक साल तीन महीने में 19 हजार करोड़ रुपया जमा हो जाएगा। सारा पैसा कैश में दिया जाएगा।
लेकिन सेबी ने कहा कि 15 फीसदी के ब्याज से अब बकाया रकम 37 हजार करोड़ हो गई है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की नई पेशकश ये कहते हुए खारिज कर दी कि सहारा की पहली किस्त बहुत कम है। कोर्ट ने कहा कि ये प्रस्ताव ईमानदारी से नहीं दिया गया है।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को जेल भेज दिया था। सहारा को निवेशकों का लगभग 20 हज़ार करोड़ रुपया लौटाना है। ये पैसा उसे सेबी के जरिए निवेशकों को बांटना है। सहारा ने गैर कानूनी तरीके से दो हाउसिंग स्कीम लांच की थी जिसमें उसने बाजार से पैसा उठाया। डेढ़ साल पहले कोर्ट ने आदेश दिया था कि निवेशकों का सारा पैसा सूद समेत लौटाया जाए। लेकिन सहारा पैसा लौटाने में टालमटोल कर रहा है।
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