Friday 7 March 2014

क्या दिल्ली में सरकार बनाएंगे ...




नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी राज्य में लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन लगे रहना लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह हो सकता है। कोर्ट ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मसले पर बीजेपी और कांग्रेस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का फैसला संवैधानिक था या नहीं। आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है।


अरविंद केजरीवाल ने सत्ता पाने के बाद जनलोकपाल के मुद्दे पर 49वें दिन इस्तीफा दे दिया। लेकिन जाते-जाते विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी। पर दिल्ली में लग गया राष्ट्रपति शासन। आम आदमी पार्टी ने इसे असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शुक्रवार को कोर्ट ने बीजेपी और कांग्रेस को नोटिस जारी करके पूछा कि वे दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से सहमत हैं या नहीं।


इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से दलील दी गई कि उपराज्यपाल ने विधानसभा को निलंबित रखने का फैसला सही किया। दो महीने पहले ही दिल्ली में चुनाव हुए थे, और बार-बार जनता पर चुनाव नहीं थोपा जा सकता। आम आदमी पार्टी के एक विधायक ने समर्थन वापस ले लिया था। उपराज्यपाल को इस बात का इंतजार करना है कि कहीं कोई और पार्टी, जैसे बीजेपी या कांग्रेस, सरकार बनाने की स्थिति में ना हो जाए। ऐसे में कोर्ट ने बीजेपी और कांग्रेस से पूछा है कि क्या वे दिल्ली में सरकार बनाने की स्थिति में थे, जब राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया।


सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मूलभूत मुद्दों पर रोशनी डाली। कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या किसी राज्य में एक लंबे अरसे तक राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसा करना लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह हो सकता है।


सुप्रीम कोर्ट के रुख से साफ है कि किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की स्थिति पर नए सिरे से बहस होगी। ये आगे के लिए नजीर भी बनेगी। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। उसका कहना है कि विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में नई सरकार बनने की कोई संभावना नहीं थी। क्या राष्ट्रपति शासन लगाए रखने से खरीद-फरोख्त को बढ़ावा नहीं मिलेगा।


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