नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा होने में बस कुछ ही समय बाकी है। शाम चार बजे तक 55 फीसदी वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके थे। राजधानी में कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं, आम आदमी पार्टी ने भी जीत का दावा किया है।
कामराज लेन मतदान केंद्र पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने वोट डाला तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी निर्माण भवन मतदान केंद्र पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ वोट देने पहुंचीं। प्रियंका गांधी अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ वोट देने पहुंचीं तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी कतार में थे। राहुल ने कहा कि शीला दीक्षित ने अच्छा काम किया है और हम दोबारा सरकार बना रहे हैं।
सबसे पहले वोट देने वालों में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल भी थे। वे नई दिल्ली क्षेत्र से मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सीधी चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने सुबह ट्विटर पर लोगों से अपील की कि वोट किसी को भी दें, लेकिन दें जरूर। इसके बाद ही कुछ खाएं-पिएं। वोट डालने के बाद केजरीवाल ने दावा किया कि दिल्ली तीसरी तरफ, यानी आम आदमी पार्टी की ओर देख रही है।
उधर, बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार डॉ. हर्षवर्धन भी परिवार समेत वोट देने पहुंचे। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में कमल का खिलना तय है। पार्टी के लिए सौ प्रतिशत उम्मीद है। बीजेपी बाकी पार्टियों से काफी आगे है। इसके विपरीत 15 साल से दिल्ली की बागडोर संभाल रहीं शीला दीक्षित निश्चिंत हैं। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली का इतना विकास हुआ है कि दिल्लीवाले हाथ का साथ ही देंगे। बड़ी तादाद में लोग वोट कर रहे हैं। उम्मीद हमारी अच्छी है।
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छत्तीसगढ़ः रमन तीसरी बार या कांग्रेस की सरकार
रायपुर। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान हुआ। पहले चरण में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा और बस्तर इलाके में वोट डाले गए लेकिन नक्सलियों के विरोध के बावजूद पहले चरण में 67 फीसदी मतदान हुआ। पहले चरण में बस्तर क्षेत्र की 12 और राजनांदगांव की छह सीटों के लिए मतदान हुआ था। बस्तर की 12 में से 11 सीटों पर पिछले चुनाव में बीजेपी का कब्जा था। इस साल इसी इलाके में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की नक्सली हमले में मौत हो गई थी। इस बार के चुनाव में कांग्रेस को इस इलाके से बड़ी उम्मीद है। पहले चरण के चुनाव में मतदाताओं ने मुख्यमंत्री रमन सिंह और बाल कल्याण मंत्री लता उसेंडी की किस्मत ईवीएम में बंद कर दी।
दूसरे चरण में 19 जिलों की 72 सीटों पर मतदान हुआ। इस बार मतदाताओं ने रिकॉर्डतोड़ 75 फीसदी मतदान कर जम्हूरियत की जीत पर मोहर लगा दी। दूसरे चरण में जिन बड़े नेताओं की किस्मत का मतदाताओं ने फैसला किया उनमें अजित जोगी के बेटे अमित जोगी, मोती लाल वोरा के बेटे अरुण वोरा भी रहे। इसके अलावा रमन सिंह सरकार के कई मंत्रियों की किस्मत भी ईवीएम में बंद हुई। छत्तीसगढ़ में भी मोदी ने कई रैलियां कर माहौल बीजेपी के पक्ष में बनाने की कोशिश की थी। क्या मोदी रमन के लिए मददगार साबित हुए या रहे बेअसर, 8 दिसंबर को इसका फैसला होना है।
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मध्यप्रदेशः शिवराज और सिंधिया में सीधी टक्कर
भोपाल। मध्य प्रदेश में 25 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के लिए रिकॉर्ड 71 फीसदी मतदान हुआ। बढ़े हुए वोट प्रतिशत को सियासी पार्टियां अपनी सुविधा के मुताबिक अपने-अपने हक में बता रही हैं लेकिन 8 दिसंबर को जब वोटों की गिनती होगी तब पता चलेगा कि 230 विधानसभा सीटों में से कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा सीट लेकर बाजी मारती है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये रही कि आधा दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर 80 फीसदी से ज्यादा वोट पड़े। सबसे ज़्यादा 83 फीसदी वोट होशंगाबाद और श्योपुर जिले में पड़े और सबसे कम 54 फीसदी वोट सतना जिले में। मध्य प्रदेश में इस बार युवा मतदाताओं की तादाद करीब 50 लाख थी। पिछली बार बीजेपी को कुल 230 विधानसभा सीटों में से 143 सीटें मिली थीं। पिछली बार 69 फीसदी मतदान हुआ था, यानी इस बार से महज दो फीसदी कम। मतदान में दो फीसदी के इजाफे से क्या बीजेपी जीत की हैट्रिक लगाएगी या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के नेताओं की एकता रंग लाएगी। इसका फैसला जल्द हो जाएगा। इन चुनावों के नतीजों को मोदी फैक्टर से भी जोड़कर देखा जाना तय है।
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राजस्थानः गहलोत दूसरी बार या महारानी बनाएंगी सरकार
जयपुर। राजस्थान में रविवार को 14वीं विधानसभा के लिए चुनाव संपन्न हुए। इस चुनाव में लोगों ने 72.86 फीसदी मतदान कर इतिहास रच दिया। राजस्थान में पहली बार मतदान के लिए युवाओं में जबरदस्त उत्साह दिखा, जहां 16 लाख 51 हजार युवा मतदाताओं ने वोट डाले। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर छिटपुट हिंसा के बीच मतदान अमूमन शांत रहा। चुरू विधानसभा सीट पर बसपा उम्मीदवार जगदीश मेघवाल की मौत की वजह से मतदान 13 दिसंबर को होगा।
राजस्थान में पिछली बार 66.25 फीसदी मतदान हुआ था। कुछ जानकारों का दावा है कि सूबे में वसुंधरा राजे की लहर और राज्य सरकार के खिलाफ गुस्से की वजह से रिकॉडतोड़ मतदान हुआ जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बूते मतदान प्रतिशत बढ़ने का दावा कर रही है।
इन दावों की कलई आठ दिसंबर को वोटों की गिनती के साथ ही खुल जाएगी और चुनाव मैदान में उतरे 2087 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो जाएगा। इस बार मैदान में बीजेपी के 34 और कांग्रेस के 29 बागी उम्मीदवार थे। 2008 में कांग्रेस के पास 96 सीटें थीं, जबकि बीजेपी के पास 78 सीटें। अन्य के खाते में 26 सीटें आई थीं।
2008 चुनाव में कांग्रेस को 36.82 फीसदी जबकि बीजेपी को 34.27 फीसदी वोट मिले थे। बीएसपी ने भी 7.6 फीसदी वोट लेकर अपनी ताकत का अहसास कराया था। अन्य ने 21.31 फीसदी वोट काटकर सियासी जानकारों को चौंकाया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल, ममता शर्मा जैसे कांग्रेसी दिग्गजों को वसुंधरा राजे और गुलाब चंद कटारिया जैसे बीजेपी के दिग्गज किस तरह जवाब दे पाए हैं, इसका फैसला होने ही वाला है।
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