Sunday 5 October 2014

शिवसेना ने महाराष्ट्र में उतारे कई ...




मुंबई। बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना को अब महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की याद आई है। उत्तर भारतीयों को निशाने बनाने वाली शिवसेना ने मुंबई के कई इलाकों में उत्तर भारतीय उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, मराठा सम्मान पर बढ़-चढ़कर दावा करने वाली राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस का भी रुख बदला है। उसने भी उत्तर भारतीयों को टिकट दिया है।


मुंबई के साकीनाका इलाके में चुनाव प्रचार में जुटे नेताजी का नाम है संतोष सिंह। संतोष सिंह चांदीवली इलाके से शिवसेना के उम्मीदवार हैं। चांदीवाली इलाके में संतोष सिंह की टक्कर मौजुदा एमएलए मो आरिफ खान से है, जो कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। बीजेपी ने भी इस सीट से उत्तर-भारतीय सीताराम तिवारी को मैदान में उतारा है। चांदीवली इलाके में कुल 4.5 लाख मतदाता हैं जिसमें लगभग 1.25 उत्तर भारतीय हैं। जाहिर है, उत्तर भारतीयों को निशाना बनाने वाली पार्टी को सियासी जरूरतों ने बदलने पर मजबूर किया है। हांलाकि पार्टी उम्मीदवार का दावा है कि शिवसेना सबको साथ लेकर चलना चाहती है।


वही कांदीवली सीट से एमएनएस ने अखिलेश चौबे को अपना उम्मीदवार बनाया है। गैर मराठियों के खिलाफ बढ़-चढ़कर बोलने वाले राज ठाकरे क इस पार्टी को अभी अब उत्तर भारतीयों की जरूरत है। अखिलेश चौबे की टक्कर मौजूदा विधायक, कंग्रेस के रमेश सिंह से है। कांदीवली इलाके में कुल 2 लाख वोटर हैं, जिसमें 70 हजार गैर मराठी है। दरअसल, बीजेपी से 25 साल पुराना गठबंधन टूटने के बाद विधानसभा चुनाव शिवसेना के लिए खासतौर पर प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। ऐसे में पार्टी सबको साथ लेकर चलने में ही भलाई समझ रही है।


शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो गई है। अभी कल से मैं लोगों से मिल रहा हूं। हमसे मिलने वाले वाले सभी वर्गों के लोग आ रहे हैं। हमारे पास मुसलमान और गुजराती दोनों मिलने आ रहे हैं। उनका यही कहना है कि कुछ भी हो जाए हमें महाराष्ट्र में शिवसेना ही चाहिए। लोग चाहते हैं कि महाराष्ट्र में शिवसेना की ही सरकार बने।


वैसे, यह एक शुभ संकेत है कि वोट के लिए ही सही, शिवसेना और एमएनएस उत्तर भारतीयों को गले लगा रही हैं। यह लोकतंत्र की ताकत भी है और तकाजा भी। एमएनएस और शिवसेना महाराष्ट्र की दो ऐसी पार्टियां हैं जो हमेशा से ही गैर-मराठियों को अपने निशाने पर रखती थी, पर राज्य में गठबंधन टुटने का बाद चुनावी समिकरन पुरी तरह से बदल चुके हैं। अब यही पार्टी गैर मराठी वोटर को रुझाने के लिए, मुंबई की अलग-अलग सिटों पर गैर-मराठी उम्मिदवार उतार रही है। दोनों पार्टियां दावा कर रहीं हैं की इस बार जनता नाम पर नही बल्कि पार्टी के नाम पर वोट देंगी।


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