Sunday, 7 September 2014

आज का मुद्दा: 'नामर्द' कहने पर तलाक ...




नई दिल्ली। अगर आप पति और पत्नी के बीच मारपीट, हिंसा और जुल्म को ही क्रूरता का पैमाना मानते हैं तो आप गलत हो सकते हैं। हर वक्त ताना मारना और जबरदस्त रूप से कंजूस होना भी क्रूरता का आधार हो सकता है। मुंबई फैमिली कोर्ट ने इन आधारों को तलाक के लिए पर्याप्त माना। एक मामले में पत्नी अपने पति को नामर्द कहकर बुलाती थी तो दूसरे मामले में पति बिजली बिल कम करने के लिए भयंकर गर्मी में भी पंखा चलाने की इजाजत नहीं देता था।


मुंबई की एक महिला पति को नामर्द कह कर ताने मारती थी। डार्लिंग, बच्चों के पापा या नाम से पति को पुकारने की बजाय बीवी अगर अपने मियां को नामर्द बुलाए, तो क्या ये क्रूरता है? मुंबई के फैमिली कोर्ट ने पति को इस तरह पुकारने को क्रूरता करार दिया, और इसी आधार पर उसे तलाक दे दिया।


आरोपों के मुताबिक पत्नी हमेशा खुद को बेहतर समझती और इस शख्स के साथ शादी को बड़ी भूल बताती। वो पति पर उसे संतुष्ट नहीं कर पाने का आरोप लगाती थी। फैमिली कोर्ट ने पति को इस तरह मानसिक रूप से यातना देने वाला माना और इसे तलाक के लिए वाजिब वजह करार दिया।


तलाक की अर्जी देने वाले शख्स की शादी 2011 में हुई थी। पति का आरोप है कि उसकी बीवी घर के कामकाज में दिलचस्पी नहीं लेती थी और हर वक्त वो पति के साथ गुजारना चाहती थी। संतुष्ट न होने पर उसे और उसके परिवार को फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी देती थी। यहां तक कि पत्नी खुद को नुकसान पहुंचा कर पति और उसके परिवार को फंसाने की धमकी देती थी।


पति का दावा है कि उत्पीड़न की वजह से वह न तो काम पर ध्यान दे पाता था और न ही खुद पर। तनाव के चलते उसकी सेहत भी खराब रहने लगी। इस बीच मई में पत्नी अपने भाई के साथ मायके चली गई और उसने पति के घर लौटने से इंकार कर दिया। हार कर पति ने अक्टूबर में तलाक की अर्जी फाइल कर दी। केस की सुनवाई के दौरान पत्नी कोर्ट में जवाब देने भी नहीं पहुंची।


सीनियर वकील सुशांत कुंजू रमन का इस केस में कहना है कि ये बहुत लैंडमार्क जजमेंट है। अब तक परिवार के झगड़े, किसी को संतुष्ट न कर पाना इस पर तलाक होते थे। हिजड़ा कहने पर पहली बार तलाक दिया गया। कानून किसी को हिजड़ा कहना मानिसक तनाव और क्रूएल्टी के दायरे मे आता है। अब परम्पराएं बदल हैं।


मानसिक क्रूरता के एक और मामले में कोर्ट ने तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया। इस मामले में तलाक की वजह बना पति का जबरदस्त कंजूस होना। फैमिली कोर्ट में ही एक महिला ने अपनी पति पर गर्मियों में भी पंखे नहीं चलाने देने का आरोप लगाया। महिला के मुताबिक भयंकर गर्मी में भी पति पंखा चलते नहीं देख सकता था। पति का कहना था कि पंखा चलाने से बिजली का बिल बढ़ता है। कोर्ट ने इस मामले को क्रूरता पाया और तलाक का आधार माना। फैमिली कोर्ट में 2012 में आए इस मामले में महिला ने 14 साल पुरानी शादी को खत्म करने की इजाजत मांगी थी। कोर्ट ने इस मामले में पत्नी को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया। मुंबई के फैमिली कोर्ट के ये दोनों मामले घरेलू यातना के मामले में नजीर साबित होंगे।


तलाक के लिए नपुंसकता पर्याप्त आधार है। लेकिन अब जिस तरह से महिलाएं इस मुद्दे पर सामने आ रही हैं और जिस तरह से अपनी इच्छाओं के दमन को तैयार नहीं हैं। उससे बदलते सामाजिक परिवेश का पता चलता है। इसलिए आज आईबीएन7 की बहस का मुद्दा है नामर्द कहने पर तलाक। इस बहस में हिस्सा लेने के लिए आईबीएन7 के साथ मौजूद हैं- मुं‌बई से वकील आभा सिंह, पुणे से केईएम अस्पताल और जीएस मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ सेक्सुएल मेडिसिन के एचओडी डॉ. प्रो. राजन भोंसले, मुंबई से ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी। आईबीएन7 के स्टूडियो में मौजूद हैं सेव इंडिया फैमिली के संयोजक ऋत्विक बिसारिया और ज्योतिषाचार्य राज कुमार शास्त्री। (वीडियो देखें)


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