Wednesday 10 September 2014

मोदी का मिशन एशियाड, अफसरों के उड़े ...




नई दिल्ली। लंबे इंतजार के बाद एशियन गेम्स के लिए भारतीय दल का ऐलान हो गया। लेकिन इस दल को आखिरी रूप देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुचि दिखाते हुए बड़ी पहल की है। मोदी के कॉस्ट कटिंग के मंत्र का पालन करते हुए पीएमओ ने भारी भरकम दल के प्रस्ताव को खारिज करते हुई लिस्ट को छांट दिया।


भारतीय खेलों में आमतौर पर ये शिकायत रहती है कि इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन अपनी मनमानी करता है और कभी-कभी भी तो सरकार की भी नहीं सुनता है। लेकिन मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के शुरुआत में ही आईओए को बड़ा झटका देते हुए एक अहम फैसला लिया है। एशियन गेम्स के लिए खिलाड़ियों और अधिकारियों के जंबो दल में कटौती करते हुए सरकार ने इसमें बड़ी छंटनी की है।


इंडियन ओलंपिक संघ ने सरकार के पास 662 एथलीट, 280 कोच और सपोर्ट स्टाफ की लिस्ट भेजी थी। लेकिन खेल मंत्रालय ने इस सूची को 516 एथलीट और 163 सपोर्ट स्टाफ में समेट दिया।


आईओए की सूची के बाद खेल मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सलाह ली और फिर प्रधानमंत्री कार्यालय के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए ये कड़ा फैसला लिया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से पदभार संभाला है उन्होंने सरकारी खर्च में कटौती पर बड़ा जोर दिया है।


इसी के चलते ये निर्देश जारी हुए जिस खेल में भारत की संभावनाएं ज्यादा हैं उसी के खिलाड़ियों को बड़े टूर्नामेंट में भेजा जाए। यहीं नहीं खिलाड़ियों के साथ जाने वाले अनावश्यक सपोर्टिंग स्टाफ को भी कम किया जाए।


सरकार ने जो लिस्ट फाइनल की है उसमें भी खिलाड़ियों से ज्यादा सपोर्टिंग स्टाफ को कम किया है। इस फैसले से सरकार ने आईओए को भी कड़ा संदेश दिया है। दरअसल आईओए ने 21 अगस्त को खेल मंत्रालय के पास भारी भरकम दल की सूची भेजी, जबकि नियमों के मुताबिक 90 दिन पहले ही सूची आ जानी चाहिए।


हालांकि इस फैसले से नाखुश आईओए इसे संघ की ऑटोनॉमी में दखल बता रहा है, लेकिन मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि पिछली सरकारों में भले ही कुछ भी होता रहा अब वो खेलों में भी जरूरी दखल देगी। खेल और खिलाड़ियों के हित का ध्यान तो रखा जाएगा लेकिन संघ के निजी हित और मनमानी के लिए उसके पास कोई जगह नहीं है।


बड़े टूर्नामेंट पर फोकस की सलाह


खेल मंत्रालय ने एक नई पहल करते हुए सिर्फ उन्हीं खेलों पर बड़े टूर्नामेंट में फोकस करने को कहा जिसमें पदक की ज्यादा उम्मीद हो। इसी के चलते कई खेलों में किसी भी खिलाड़ी को एशियन गेम्स न भेजने का फैसला किया है। लेकिन इंडियन ओलंपिक संघ इससे नाखुश है और उसकी अपनी ही दलील है।


भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए एशियन गेम्स में टीम मैनेजर के जाने पर रोक लगा दी। इस फैसले से आईओए पूरी तरह बैकफुट पर आ गया है। आमतौर पर बड़े टूर्नामेंट में दल को लेकर संघ ही फैसला लेता है और अपने हिसाब से खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ को शामिल करता है।


लेकिन सरकार ने इस बार आंख मूंद कर इस पर मुहर लगाने की बजाए कैंची चला दी। यहीं नहीं मंत्रालय ने उन खेलों नें खिलाड़ी न भेजने का फैसला किया जिसमें पदक की उम्मीद न के बराबर है। पिन बॉलिंग, फेंसिंग, रग्बी, सॉफ्ट टेनिस, ट्राइएथलॉन और बीच वॉलीबॉल में भारत ने हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया।


हालांकि नियमों के मुताबिक पिछले गेम्स में व्यक्तिगत स्पर्धा में छठे और टीम स्पर्धा में आठवें नंबर तक आने पर ही रहने पर अगले गेम्स में टीम को जाने की इजाजत मिलती है। लेकिन मापदंड पूरे न होने के बावजूद फुटबॉल और हैंडबॉल को इस बार हरी झंडी दे दी गई।


पिछली बार भारत ने एशियन गेम्स में 35 खेलों में हिस्सा लिया था, लेकिन इस बार सिर्फ 28 खेलों को इजाजत मिली है। पिछली बार की तुलना में इस बार भारतीय दल में भी 28 फीसदी की कटौती की है।


सरकार के इस कदम ने खेल मंत्रालय और आईओए को आमने-सामने खड़ा कर दिया है। ऐसे में 2016 ओलंपिक से पहले खेल से जुड़े मामले में मोदी सरकार से कई और बड़े फैसलों की उम्मीद की जा रही है।


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