Wednesday, 27 August 2014

धर्मसंसद में शंकराचार्य के ...




नई दिल्ली। हिंदू मर्दों की दूसरी शादी से जुड़े शंकराचार्य के बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के बयान का जमकर विरोध शुरू हो गया है। महिलाओं में इसे लेकर काफी गुस्सा है। महिलाओं का कहना है कि शंकराचार्य का ये बयान अपमानजनक है और बच्चे के लिए दूसरी शादी करना उनके साथ धोखा है। उनका कहना है कि अगर बच्चे नहीं हो तो दूसरी शादी ही विकल्प नहीं है, टेस्टट्यूब बेबी से लेकर बच्चे गोद लेने जैसे कई और भी तरीके हैं।


बात करें देश की राजधानी दिल्ली की तो यहां महिलाओं का कहना है कि धर्म संसद का फरमान गलत है। बच्चा गोद लेना भी रास्ता है। बच्चे के लिए दूसरी शादी करना धोखा है।


वहीं जयपुर में भवानी निकेतन गर्ल्स कॉलेज की महिला लेक्चरर्स ने दूसरी शादी को पुरुषवादी सोच करार दिया। उन्होंने कहा कि महिलाएं केवल बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं हैं। ये महिलाओं का अपमान है। उन्होंने कहा कि निसंतानता का कारण महिलाएं ही नहीं पुरुष भी हैं।


जयपुर में महिलाओं को लगता है कि ये निजी मामलो में धर्माचार्यों का अनावश्यक हस्तक्षेप है। उनका कहना है कि अगर बच्चा नहीं हो तो दूसरी शादी ही विकल्प नहीं, टेस्टट्यूब बेबी से लेकर बच्चे गोद लेने जैसे कई और भी तरीके हैं।


गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के कवर्धा में साईं बाबा के संत होने पर एक धर्मसंसद बुलाई गई थी। जिसमें शंकराचार्य ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने धर्मसंसद में कहा कि पहली शादी से बच्चा नहीं होने पर हिंदू मर्द दूसरी शादी कर सकते हैं। मुसलमान होने के चलते जहां एक तरफ शंकराचार्य साईं बाबा को संत मानने से इनकार कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ इस्लाम में मिली एक से ज्यादा शादियों की छूट को ही हिंदू धर्म में अपनाने की बात कह रहे हैं।


सवाल उठने लगा है कि क्या पहली पत्नी के रहते और उसे तलाक दिए बिना दूसरा विवाह जायज होगा?


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