Monday, 4 August 2014

नेपाल में गूंजता रहा, हर-हर मोदी ...




काठमांडू। हर-हर मोदी घर-घर मोदी, नेपाल में दो दिनों तक यही नारा गूंजता रहा। मोदी का दो दिन का नेपाल दौरा आज खत्म हो गया। नेपाल के बड़े नेता भी संसद में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिए गए भाषण से गदगद दिखे। तो क्या ये मान लिया जाए कि नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा दोस्ती के नए युग की शुरुआत है।


सालों के विवाद के बाद दोनों ही देश 1950 में हुई इंडो-नेपाल फ्रेंडशिप ट्रीटी पर बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं। इससे पहले आज दिन में मोदी ने भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन किए। उन्हें नेपाल नरेश जैसा सम्मान हासिल हुआ, लेकिन इन रिश्तों को अभी और भी कई कसौटियों पर कसा जाना है।


नेपाली संसद में मोदी औऱ उनके शब्दों पर मंत्रमुग्ध सांसद नेपाल को हर मदद का भरोसा, हर संकट से उबारने का वादा, मोदी की बिग ब्रदर डिप्लोमेसी, 17 साल से कई बार न्यौता भेजे जाने के बावजूद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने काठमांडू का रुख नहीं किया। ये कैसी पारंपरिक दोस्ती थी जिसमें दिल से दिल तो जुड़े थे फिर भी 17 बरस की ठंडक रही? मोदी की बोली और पैगाम ने जैसे रिश्तों में गर्मजोशी भर दी। नेपाल ने भारतीय प्रधानमंत्री को सिर आंखों पर बिठाया। शुक्रिया किया दोनों मुल्कों के बीच भरोसे की नई लकीर खींचने के लिए।


भारत और नेपाल पड़ोसी हैं। नेपाल शुरू से ही भारत पर आश्रित रहा, लेकिन पिछले कुछ सालों से रिश्तों में ठहराव आ गया। जानकारों का कहना है कि ठहराव की दो वजहें थीं। भारत की अनदेखी और नेपाल का अविश्वास करना, लेकिन मोदी के दो दिन के नेपाल दौरे ने ये ठहराव खत्म करने की कोशिश की। दोनों देशों ने साझा बयान जारी किया। बयान का जोर दो मुद्दों पर था, पहला 1950 के भारत-नेपाल दोस्ती संधि पर फिर से विचार करना, उसकी समीक्षा करना और जरूरत हो तो बदलाव करना। दूसरा भारत-नेपाल की सरहद से जुड़े मुद्दों का फायदा उठा कर दोनों मुल्कों की सुरक्षा के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकना।


बताया गया है कि मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने दोनों देशों के संयुक्त आयोग के फैसले का स्वागत किया। इस आयोग ने दोनों मुल्कों के विदेश सचिवों से मिलने और 1950 की दोस्ती संधि को दोबारा जिंदा करने की जरूरत पर बल दिया है। बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने ये माना है कि इस संधि को नए सिरे से देखना जरूरी है। ताकि नई वास्तविकताएं और नई चुनौतियों का सामना किया जा सके और दोनों के बीच गहरे रिश्ते बनें।


मोदी के नेपाल दौरे से एक लाभ ये भी हुआ कि दोनों ही मुल्क अपनी खुली सीमा की उचित निगरानी को राजी हुए। बताया गया है कि मोदी और कोइराला ने दोनों मुल्कों के बीच सीमा वर्किंग ग्रुप बनाए जाने का स्वागत किया और सरहद पर खंबे बनाने, मरम्मत करने पर भी जोर दिया। ये भी माना गया कि खुली सरहद से दोनों ही देशों के लोगों को लाभ भी पहुंचा है लेकिन अक्सर कई खुराफाती तत्व दोनों देशों की सुरक्षा से खिलवाड़ करते हैं।


जानकारों की मानें तो नेपाल में बढ़ते चीन के दखल को कम करने के लिए पीएम मोदी का ये दौरा काफी कामयाब रहेगा। 2012 में जब चीन के प्रधानमंत्री नेपाल आए थे तो उन्होंने यहां सिर्फ छह घंटे बिताए थे, जबकि मोदी पूरे दो दिन तक यहां रहे। उन्हें नेपाली जनता का भरपूर प्यार और अभूतपूर्व स्वागत हासिल हुआ।


भारत नेपाल के रिश्तों में कई और बुनियादी चुनौतियां भी हैं। भारत और नेपाल के बीच लंबी सीमारेखा हवाला, ड्रग्स और नकली नोटों के तस्करों का स्वर्ग बनी हुई है। चीन के साथ साथ पाकिस्तान में नेपाल में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को भी नेपाल में रणनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिश करनी होगी, साथ ही दोनों देशों में भरोसा कायम हो इसके लिए खुफिया एजेंसियों की भूमिका को कम करने की जरुरत है।


मोदी ने नेपाल को 10 हजार करोड़ नेपाली रुपए की आर्थिक मदद का ऐलान किया। साथ ही दोनों देशों के बीच एचआईटी फॉर्मूला यानि हाईवे, इन्फॉरमेशन वे और ट्रांसपोर्ट वे को मजबूत करने का फॉर्मूला दिया। लेकिन मोदी के सामने असल चुनौती उन चीनी एजेंसियों से है जो नेपाल में भारी निवेश कर रही हैं। जाहिर है दोस्ती की इस डगर पर अभी और मजबूत कदम रखने की जरुरत है।


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