इंचियोन| 17वें एशियाई खेलों का आज समापन हो जाएगा लेकिन दो हफ्ते से भी ऊपर चला यह खेल आयोजन भी डोपिंग से अछूता नहीं रहा। एशियाई खेलों में डोपिंग का पहला मामला 14 सितंबर को सामने आया जब ताजिकिस्तान के फुटबॉल खिलाड़ी खुर्शीद बेकनाजोराव को सिंगापुर के खिलाफ पहले ग्रुप मैच में प्रतिबंधित मिथाइलएक्सानेमिन लेने का दोषी पाया गया।
इसके बाद कंबोडिया की 18 वर्षीया सॉफ्ट टेनिस खिलाड़ी यी सोफानी को डोप टेस्ट में फेल होने के बाद निष्कासित कर दिया गया। उनकी जांच सॉफ्ट टेनिस स्पर्धा शुरू होने से पहले 16 सितंबर को की गई थी। वुशु में स्वर्ण पदक जीतने वाली मलेशिया की ताइ चियू जुएन को भी 20 सितंबर को सिबुट्रामिन नामक प्रतिबंधित दवा लेने का दोषी पाया गया। जुएन ने इसी दिन महिलाओं के नानडावो और नानक्वान स्पर्धा में पदक जीते थे।
इराक के भारोत्तोलक मोहम्मद अल एफुरी भी डोप टेस्ट में फेल रहे। वह 105 किलोग्राम वर्ग में सातवें स्थान पर रहे थे। इसके बाद सीरिया के कराटे एथलीट 19 वर्षीय नूर-अल्दीन अल-कुर्दी भी 25 सितंबर को डोप-परीक्षण में असफल रहे और प्रतियोगिता शुरू होने से पहले ही उन्हें अयोग्य घोषित किर दिया गया।
दूसरी ओर चीन की गोला फेंक एथलीट झांग वेनजियू को भी डोप-परीक्षण में असफल पाया गया। दरअसल, ओलंपिक में कांस्य जीतने वाली झांग ने लगातर तीसरी बार एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया था। उन्होंने एशियाई खेलों में नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए 77.33 मीटर दूर गोला फेंका। झांग को अयोग्य घोषित किए जाने का फायदा हालांकि सीधे भारतीय एथलीट मंजू बाला को मिला। इस स्पर्धा में कांस्य जीतने वाली मंजू को रजत पदक विजेता घोषित किया गया।
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