Tuesday 9 September 2014

घाटी में बाढ़: बारिश थमी, तबाही का ...




श्रीनगर। कश्मीर में बारिश तो थम गई है लेकिन तबाही और बर्बादियों का दौर जारी है। बाढ़ पीड़ित इलाके में फंसे हजारों-लाखों लोग तमाम मुश्किलों से जूझ रहे हैं। श्रीनगर समेत कश्मीर के ज्यादातर इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। मकान, दुकान, अस्पताल, बाजार हर जगह पानी ही पानी है।


बारिश थमने के बाद भी लोगों तक सरकारी मदद पहुंचने में देर हो रही है। कई इलाकों में फंसे लोगों के सामने खाने के लाले पड़ गए हैं। बाढ़ के चलते जिस तरह के हालात बने हुए हैं उसमें कहीं राहत मिलती नहीं दिख रही।


गांव के गांव पानी में डूबे हुए हैं। सैकड़ों परिवारों के कई लोग ऐसे हैं जिनसे अब तक संपर्क नहीं हो पाया है। सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ की टीमें लगातार राहत-बचाव के काम में लगी हुई हैं। लेकिन जितने बड़े पैमाने पर तबाही हुई है उसे देखते हुए आने वाले 4-5 दिनों से पहले राहत मिलती नहीं दिखती। अब तक आपदा में करीब 200 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 25 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है।


आईबीएन के तमाम संवाददाता कश्मीर के कोने-कोने से तबाही की तस्वीर और खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। इसी क्रम में संवाददाता ज्योति कमल जम्मू से 250 किलोमीटर दूर पुंछ के एक गांव मे पहुंचे। यहां लोग परेशान दिखे। लोगों की शिकायत है कि प्रशासन उनकी मदद नहीं कर रहा है।


डल झील बाढ़ से लबालब


श्रीनगर जाने वाला हर शख्स डल झील जरूर जाता है। डल झील को कश्मीर की खूबसूरती का प्रतीक माना जाता है। लेकिन आज ये खूबसूत झील बाढ़ के पानी से लबालब है। आसपास के सारे इलाके झील के पानी में डूबे हुए हैं। डल लेक का पानी डल लेक से सटे हजरत बल दरगाह के पास पहुंच गया है। हमारे संवाददाता खालिद हुसैन ने बताया वहां का ताजा हाल।


50 गांवों को शहर से जोड़ने का काम


लगभग 50 गांवों को शहर से जोड़ने का काम सेना युद्धस्तर पर चल रहा है। कल दोपहर को यह काम शुरु हुआ था। इस समय आधे से ज्यादा पुल बनकर तैयार है उम्मीद है कि शाम तक पुल बनकर तैयार हो जाएगा। ये पुल तवी नदी पर था जो बह गया है। लोग दोनों किनारे पर इतंजार कर रहे हैं कि कब पुल बन कर तैयार हो। ये लोग अपने घरों में 5 दिन बाद पहुंच पाएंगे। संवाददाता पवन शर्मा ने जायजा लिया।


गोपालगंज के 400 लोग फंसे


जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ में बिहार के गोपालगंज के करीब 400 लोग फंसे हुए हैं। रोजी रोटी के लिए कमाने गए इन युवाओं का अपने परिवार से संपर्क भी टूट गया है जिससे परिजनों की चिंता बढ़ गई है।


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