Tuesday 16 September 2014

शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सबसे नाजुक ...




मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी का 25 साल पुराना गठबंधन अब तक के सबसे नाजुक दौर से गुज़र रहा है। सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों ही दलों में तलवारें खिंच गई हैं। बीजेपी 135 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने इससे साफ इंकार कर दिया है। यही नहीं, उन्होंने गठबंधन की दूसरी पार्टियों के जरिए भी दबाव बढ़ा दिया है। ऐसे में कोई रास्ता निकालने के लिए कल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह खुद मुंबई पहुंच रहे हैं।


शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के कड़े रुख़ के बाद बीजेपी के बड़े नेताओं में खलबली मच गई है। मोदी लहर पर सवार बीजेपी इस बार महाराष्ट्र में 135 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने साफ़ कर दिया की बीजेपी की मांग मानने के मूड मे नहीं हैं। उद्धव ने कहा कि मैं ऐसा कुछ नहीं करुंगा की गठबंधन टूटे, लेकिन 135 सीट देना असंभव है। बीजेपी की जिद गलत है।


शिवसेना के अड़ियल रुख़ के बाद मंगलवार को महाराष्ट्र के बीजेपी नेताओं ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाक़ात की। कई घंटे चली इस मीटिंग में सीटों के बंटवारे की गुत्थी सुलझाई नही जा सकी। इस मसले का हल निकालने के लिए अब अमित शाह खुद बुधवार को मुंबई पहुंच रहे हैं।


दरअसल, अमित शाह चाहते हैं कि महाराष्ट्र में अगली सरकार बीजेपी के नेतृत्व में बने। उद्धव ठाकरे ने इस मंशा को भांपकर अपना नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे कर दिया है। यही नहीं, उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर दबाव बढ़ाने के लिए मंगलवार को महागठबंधन में शामिल दूसरी पार्टियों के नेताओं से मुलाक़ात की। शिवसेना-बीजेपी में बढ़ती दरार का अहसास साथी दलों को भी है। वे खुद भी ज्यादा सीट चाहते हैं।


आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले ने कहा कि हमें ज़्यादा सीटें मिलेगी ऐसी हमें उम्मीद हैं। हम कम सीटों पर नहीं मानेंगे। उद्धव ठाकरे ने वादा किया है कि हमें दो अंकों में सीट मिलेगी। हमें महागठबंधन टूटने नहीं देना है। अगर हम सब अलग हो गए तो कांग्रेस एनसीपी सत्ता में आ जाएंगे। फिर आगे सत्ता में आना मुश्किल होगा। दोनों दलों को लड़ना नहीं चाहिए, एक साथ रहना चाहिए।


महाराष्ट्र में 15 अक्टूबर को मतदान होगा। उपचुनाव के परिणामों से उत्साहित कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन फिर से ताल ठोंकने लगा है। गठबंधन नेता प्रचार में जुट गए हैं। जबकि शिवसेना और बीजेपी की खींचतान खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही।


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