नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का अमेरिका में डंका बज रहा है। मीडिया से लेकर आम लोगों की बातचीत में नरेंद्र मोदी ही जुबां पर हैं। लेकिन ये पहली बार नहीं जब पीएम मोदी वहां के लोगों पर प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे हैं।
आज से 21 साल पहले जब मोदी एक साधारण व्यक्ति के तौर पर अमेरिका गए थे, तब कुछ एनआरआई और उनके संपर्क में आए अमेरिकी उनसे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाए। खास बात ये कि उन दिनों मोदी ने अमेरिका के 50 में से 29 राज्यों की यात्रा महज 500 डॉलर में कर ली थी। शायद आपके जेहन में ये सवाल उठे कि ये कैसे संभव है? इस असंभव को नरेंद्र मोदी नाम के शख्स ने कैसे संभव कर दिखाया, पढ़ें।
21 साल पहले यानी 1993 में वो सितंबर का महीना था। उस वक्त नरेंद्र मोदी अमेरिका में थे। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश को देखने-समझने के लिए। अमेरिका की सड़कें, पार्क, होटल और बिल्डिंग को वो बड़े ही ध्यान से देखते। वहां के बाशिंदों से असली अमेरिका के बारे में बातें करते। और ये जानने की कोशिश करते कि वो क्या है जिसने अमेरिका को दुनिया की महाशक्ति बना दिया है। नरेंद्र मोदी की इसी तलाश ने उन्हें अमेरिका घूमने के लिए प्रेरित किया।
फिर क्या था, मोदी ने वो कर दिखाया जो अब तक शायद ही किसी भारतीय नेता ने किया हो। रोनेन सेन के अलावा किसी राजदूत ने भी अमेरिका के 29 राज्यों को जाकर देखा हो, ऐसा नहीं लगता। और तो और ज्यादातर अमेरिकी भी ऐसा नहीं कर पाए जो मोदी ने किया।
अमेरिका के ज्यादातर हिस्से को जानने-समझने के लिए नरेंद्र मोदी ने नया तरीका निकाला। मौजूदा अमेरिकी दौरे में प्रधानमंत्री ने खुद अपने एक करीबी से इसका जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक तब उनके पास अमेरिका के इतने बड़े हिस्से में घूमने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में उन्होंने इस काम के लिए 500 डॉलर निवेश करने का फैसला किया। हालांकि उस वक्त ये रकम भी खासी बड़ी थी।
इसके बाद मोदी ने डेल्टा एयरलाइंस का टिकट खरीदा। इसमें मददगार बनी एक स्कीम। ये स्कीम थी "सी अमेरिका" स्कीम। इस स्कीम के तहत मोदी को बेहद कम कीमत पर अमेरिका के आधे से ज्यादा हिस्सों को देखने का मौका मिला। इसके लिए मोदी पूरे महीने बस घूमते रहे, घूमते रहे।
इसके लिए वो जिन उड़ानों पर सवार होते उनमें ज्यादातर "रेड आई" फ्लाइट्स होतीं। "रेड आई" फ्लाइट्स वो उड़ानें होती हैं जो देर रात शुरू होती हैं और अहले सुबह मंजिल पर पहुंचती हैं। "रेड आई" फ्लाइट्स लेने का मकसद था रात को कहीं रुकने में होने वाले होटल के खर्च को बचाना। इसमें आराम की कमी और सो नहीं पाने की वजह से मुसाफिरों की आंखें सुबह को लाल दिखतीं। इसलिए इन उड़ानों को रेड आई फ्लाइट्स नाम दिया गया है। लेकिन यही फ्लाइट्स मोदी के सपनों को साकार करने वाली उड़ानों में बदल गईं।
निश्चित तौर पर ये हकीकत नरेंद्र मोदी के दृढ़ निश्चय और व्यक्तित्व को बयां करता है। कभी न हार मानने वाला जज्बा और जिस काम को ठान लें उसे पूरा करने की जिद। क्या यही एक नेता की खासियत नहीं होनी चाहिए।
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