Friday 29 August 2014

जापान से रिश्तों की नई कहानी लिखने ...




नई दिल्ली। भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर पहली द्विपक्षीय यात्रा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अगस्त से चार दिन के लिए जापान के दौरे पर हैं। भारत और जापान के बीच दोस्ती का रिश्ता सैकड़ों साल पुराना है, लेकिन खुद नरेंद्र मोदी का भी रिश्ता कम पुराना नहीं है। इससे पहले वो दो बार गुजरात के सीएम रहते जापान यात्रा कर चुके हैं। 2012 की यात्रा के दौरान मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से भी मिले थे। मोदी की इन्हीं यात्राओं में छुपी है लव इन टोक्यो की वो दास्तां, जो दोनों देशों के रिश्तों की नई कहानी लिखने के लिए बेताब है।


क्या उगते सूरज के देश से नरेंद्र मोदी के पुराने ताल्लुकात दिला पाएंगे तोहफों की सौगात। ये उम्मीदों की सुनामी है। लव इन टोक्यो की कहानी है। ये टोक्यो से प्यार ही है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपमहाद्वीप के बाहर अपने पहले द्विपक्षीय यात्रा के लिए जापान को चुना है।


सुनते है वो कहानी जिसकी बुनियाद 2007 और 2012 में नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान पड़ी थी-हालांकि तब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बल्कि गुजरात के मुख्यमंत्री थे। अपनी जापान यात्राओं के दौरान नरेंद्र मोदी ने जापान की बुलेट ट्रेन को देखा था। जापान की आर्थिक तरक्की से वो प्रभावित हुए थे। जापान की संस्कृति और संगीत का उन्होंने आनंद लिया था। गुजरात की तरक्की में उन्होंने जापान से बने रिश्ते का शानदार इस्तेमाल किया था। अब यही उम्मीद प्रधानमंत्री की जापान यात्रा से भी है।


प्रधानमंत्री के एजेंडे में क्या-क्या?


1. बुलेट ट्रेन समझौता


क्योटो में मोदी जापान के हाई स्पीड रेलवे को देखेंगे। पीएम भारत में बुलेट ट्रेन चलाने की बात कह चुके हैं। लेकिन जापान को इस मामले में चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है, सवाल ये है कि भारत किसे पसंद करेगा।


2. नागरिक परमाणु करार


इस दौरे पर जापान के साथ नागरिक परमाणु करार मुमकिन है। हालांकि लगभग साढ़े तीन सालों की चर्चा के बावजूद अभी भी कुछ पेंच हैं।


3. यूएस-2 एंम्फीबियन एअरक्राफ्ट


जापान से 15 जहाजों की डील की बात हो रही है जिसमें से 3 हम खरीदेंगे और 12 खुद बनाएंगे, हवा और पानी में चलने वाले ऐसे जहाज की तकनीक में जापान बहुत आगे है )


4. रणनीतिक साझेदारी का नया अध्याय


रक्षा और विदेश मंत्रालय के सचिव और उपमंत्रियों के बीच 2+2 फॉर्मेट वाली सालाना वार्ता को उपग्रेड करना भी एजेंडे में है, यानी हर साल मंत्री स्तर की वार्ता शुरू हो सकती है लेकिन जापान ऐसा सिर्फ अमेरिका और रूस के साथ ही करता है।


5. मेरीटाइम समझौता


मोदी की यात्रा के दौरान भारत और जापान की नौसेना के साझा अभ्यास पर भी फैसला मुमकिन है। दरअसल, भारत-जापान में रक्षा क्षेत्र में मजबूत साझेदारी चीन के दबदबे को कम करने में निर्णायक साबित हो सकती है।


6. आर्थिक समझौता


मोदी के साथ इस दौरे पर मुकेश अंबानी, अदानी, चंदा कोचर, किरण मजूमदार शॉ समेत कई उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल होगा। उम्मीद है कि आर्थिक मोर्चे पर कई बड़े समझौते हों।


7. जापान से 1.7 लाख करोड़ का फंड


ऐसी खबरें हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी इकॉनमी की रफ्तार बढ़ाने के लिए अगले पांच साल में जापान से 1.7 लाख करोड़ डॉलर का फंड चाहते हैं, लेकिन सवाल ये है कि जापान की इसमें दिलचस्पी है या नहीं।


भारत बड़े समझौतों के साथ स्मार्ट सिटी, रेलवे प्रोजेक्ट्स, सोलर एनर्जी और गंगा सफाई अभियान जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए जापान से मदद चाहता है। लेकिन उम्मीदों और समझौतों के बीच बहुत से पेंच भी हैं, लिहाजा क्या रंग लाएगा प्रधानमंत्री का लव इन टोक्यो नजर सबकी रहेगी।


मोदी का जापान प्रेम


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान प्रेम के पीछे उगते सूरज के देश की शानदार तरक्की है। गुजरात का सीएम रहते हुए मोदी अपने सूबे को भी जापान की तरह तरक्की करते हुए देखना चाहते थे। इसीलिए वो जापान पहुंचे थे। इसी यात्रा के दौरान मोदी के दिल में भारत में बुलेट ट्रेन लाने के सपने ने भी जन्म लिया था।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान प्रेम छुपा नहीं है। जापान से उनका रिश्ता पुराना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लव इन टोक्यो की कहानी नई नहीं है। जापान से पीएम के उस खास रिश्ते की कहानी जिसकी नींव 2007 और 2012 में पड़ी थी जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर जापान यात्रा की थी।


जापानियों की मेहमाननवाजी ने मोदी की दिल जीत लिया था। ये कहा जाए कि मोदी का दिल जापान की बुलेट ट्रेन पर आ गया था तो गलत नहीं होगा। चमकते हुए पीले कुर्ते और नीले रंग के अंगवस्त्रम में सजे नरेंद्र मोदी ने बुलेट ट्रेन सिस्टम को समझने की ख्वाहिश जताई थी। जापानियों को अपनी बुलेट ट्रेन पर नाज है। उन्होंने खुशी-खुशी नरेंद्र मोदी को बुलेट ट्रेन की सैर कराई थी।


सफेद-पीली रौशनी से नहाया स्टेशन-भारतीय रेलवे स्टेशनों से बिल्कुल अलग था। कहीं भी कोई गंदगी नहीं थी। सफाई इतनी थी कि फर्श भी चमक रही थी। सीढ़ियों से होते हुए मोदी स्टेशन के ऑटोमैटिक फेयर काउंटर पर पहुंचे, स्टेशन के भीतर प्रवेश किया। एस्केलेटर से होते हुए प्लेटफार्म पहुंच गए। जापानी मेजबान उन्हें बुलेट ट्रेन के बारे में बता ही रहे थे, तभी ट्रेन आने की अनाउंसमेंट हो गई। मोदी अब बैरियर के बिल्कुल करीब आ गए। उनसे हाथ भर के फासले पर बुलेट ट्रेन आई, रफ्तार धीमी हो चुकी थी। लेकिन उसे निहारते मोदी की आंखें चमक रही थीं। शायद तभी उन्होंने ठान लिया था कि प्रधानमंत्री बनने पर वो बुलेट ट्रेन का सपना जरूर सच करेंगे। यानी उस सपने की शुरुआत जो टोक्यो से हुई थी।


अपनी जापान यात्रा के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की सैर करते हुए इस मेहनतकश देश को करीब से समझा था। इस सफर में उन्होंने जापान के हाथ वाले पंखे का आनंद लिया था। जापान की परंपरागत पोशाक में उनके संगीत को भी समझने की कोशिश की थी। इस सफर में मोदी कभी कुर्ते में नजर आए तो। कभी बंद गले के सूट में शर्ट और पैंट के फैशनेबुल पोशाक में भी वो दिखे थे। इसमें शक नहीं है कि जापन ने भारत के इस दूत का दिल मोह लिया था।


मोदी अब गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री के तौर जापान यात्रा कर रहे हैं। लिहाजा उम्मीद है कि लव इन टोक्यो की उनकी कहानी दोनों देशों के रिश्ते में नई मिठास घोलेगी।


बुलेट ट्रेन का सपना


देश में बुलेट ट्रेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा सपना है। मोदी सरकार के पहले रेल बजट में भी इस सपने का जिक्र है, इसीलिए उम्मीद की जा रही है कि मोदी की जापान यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच भारत में बुलेट ट्रेन के विकास को लेकर कोई बड़ा ऐलान हो सकता है।


दुनिया में सबसे पहले बुलेट ट्रेन शुरू करने का श्रेय जापान को ही जाता है, जहां 1964 में ही बुलेट ट्रेन चलनी शुरू हो गईं थीं। जापान के पास फिलहाल बुलेट ट्रेन का 2,664 किलोमीटर लंबा ट्रैक है, जिस पर अधिकतम 300 किलोमीटर/ घंटा की रफ्तार से दौड़ती हैं बुलेट ट्रेन। लिहाजा बड़ा सवाल है कि क्या जापान करेगा प्रधानमंत्री के बुलेट ट्रेन के सपने को साकार? क्या पीएम की यात्रा में होगा भारत-जापान बुलेट ट्रेन समझौता?


पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी की पहली जापान यात्रा में ये अहम सवाल है। हालांकि रेल मंत्री सदानंद गौड़ा मोदी के जापान दौरे में उनके साथ नहीं होंगे। लेकिन जिस तरह से रेलवे में एफडीआई को पहले केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी और पीएम की जापान यात्रा से पहले इस सिलसिले में नोटिफिकेशन लाया गया, वो इशारा करता है कि जापानी पीएम शिंजो आबे से बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच बुलेट ट्रेन चलाने में साझेदारी पर बड़ी पहल हो सकती है।


बुलेट ट्रेन को भारत में लाने की संभावनाओं पर जापान स्टडी कर रहा है। खबरों के मुताबिक पीएम के जापान दौरे में रेलवे की हालत सुधारने से जुड़ी तीन अहम बातों पर चर्चा हो सकती है। पहला वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्राएट कॉरीडोर। दूसरा जापान की शिनकानसेन से बुलेट ट्रेन खरीदने की बात। तीसरा दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर देश के दूसरे शहरों में मेट्रो का विकास।


जापान की Japan International Cooperation Agency यानी JICA पहले ही इन मामलों में फिजीबल्टी स्टडी कर रहा है। सच ये भी है कि भारत में बुलेट ट्रेन चलाने के किसी भी संभावित समझौते की होड़ में जापान को चीन कड़ी टक्कर दे रहा है। फिलहाल, चीन के पास 9,356 किलोमीटर का दुनिया का सबसे लंबा बुलेट ट्रेन नेटवर्क है, वो 14,160 किलोमीटर नए रूट का भी निर्माण कर रहा है। चीन की बुलेट ट्रेनों की अधिकतम गति 300 किलोमीटर प्रतिघंटा है, 350 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से भी बुलेट ट्रेन चला चुका है।


जापान के मुकाबले चीन सस्ती दरों पर भारत को हाई स्पीड ट्रेन दे सकता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में चीन में भीषण ट्रेन हादसे भी हुए हैं। मोदी देश में जीरो एक्सिडेंट वाली बुलेट ट्रेन चाहते हैं। लिहाजा इस बात की संभावना ज्यादा दिख रही है कि बुलेट ट्रेन पर भारत का समझौता जापान के साथ हो सकता है।


खबर है कि जापान अहमदाबाद-मुंबई कॉरीडोर के लिए शिनकानसेन नेटवर्क को लेकर एक रिपोर्ट भी तैयार कर चुका है। अहमदाबाद-मुंबई रूट के अलावा मोदी सरकार दिल्ली-आगरा। दिल्ली-चंडीगढ़। मैसूर-बैंगलोर-चेन्नई। मुंबई-गोवा और हैदराबाद-सिकंदराबाद रूट पर भी हाई स्पीड ट्रेन चलाना चाहती है।


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