राजगढ़। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह के प्रभाव वाले राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में प्रदेश के सत्तारुढ दल भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी किसे बनाया जाए इसको लेकर मंथन जारी है और प्रदेश नेतृत्व को कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने के लिए मजबूत प्रत्याशी की तलाश है।
बीजेपी संगठन में मध्यप्रदेश को भले ही मजबूत संगठन के हिसाब से आदर्श प्रदेश माना जाता हो, लेकिन राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पार्टी अब तक ऐसा कोई नेतृत्व खड़ा नहीं कर सकी है जो कांग्रेस के लिए इस क्षेत्र में चुनौती दे सके। यही वजह है कि इस सीट पर बीजेपी हमेशा से अपने निष्ठावान कार्यकर्ता पर दाव लगाने के बजाय बाहरी नेताओं पर ही भरोसा कर चुनावी मैदान में उतरती रही है।
आजादी के बाद से अब तक हुए 15 लोकसभा चुनाव एक उपचुनाव सहित इस सीट पर कांग्रेस ने 10 और बीजेपी ने चार बार स्थानीय नेतृत्व को मौका दिया है। जिसमें बीजेपी ने दो बार कांग्रेस से बीजेपी में चुनाव के समय शामिल हुए नेताओं को टिकट दिया है। इस सीट पर बीजेपी संगठन द्वारा बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने की वजह से स्थानीय मजबूत नेतृत्व खड़ा नहीं हो पाया है और पार्टी भी एक बार को छोड़कर कभी भी जीत दर्ज नहीं करा पाई है।
बीजेपी की जीत में संगठन का कम बल्कि प्रत्याशी बनाए गए पूर्व मुख्मंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह का व्यक्तिगत प्रभाव ज्यादा रहा था। इसके उलट कांग्रेस ने यहां न केवल मजबूत नेतृत्व खड़ा किया बल्कि कई नेताओं को मतदाताओं के हिसाब से प्रभावशाली भी बना दिया।
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