Monday, 6 January 2014

बड़ी बहस: क्या आप पार्टी से बीजेपी का ...




नई दिल्ली। दिल्ली में सरकार बनाने के बाद, लोकसभा चुनाव के लिए ताल ठोंक रही आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के माथे पर बल डाल दिया है। आम चुनाव को मोदी बनाम राहुल बनाने में जुटी बीजेपी के लिए आप की काट खोजना मुश्किल हो रहा है। बीजेपी का मानना है कि आम आदमी पार्टी 60 से 70 सीटों पर असर डाल सकती है। इससे उसके मिशन 272 की राह में बाधा खड़ी हो सकती है।


दरअसल बीजेपी ने चार विधानसभा चुनावों में से तीन चुनाव जीते हैं। लेकिन दिल्ली की हार ने उसके गुब्बारे से हवा निकाल दी। केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के उदय ने इशारा किया कि देश में ऐसे लोगों की कमी नही जो बीजेपी और कांग्रेस को एक सा मानते हुए, किसी नए राजनीतिक मंच की तलाश में है। बीजेपी इसे अपने लिए खतरे की घंटी मान रही है। उसे आम आदमी पार्टी का वजूद स्वीकार करना पड़ रहा है, जो कुछ दिन पहले उसे नजर ही नहीं आता था।


बीजेपी ने एनडीए के बिखराव और आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेता की नाराजगी की परवाह न करते हुए नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया था। उम्मीद थी कि मोदी का बेलौस अंदाज, गुजरात के विकास की तस्वीर और ध्रुवीकरण की संभावना उसे आम चुनाव में शीर्ष पर ले जाएगी। खासतौर पर भ्रष्टाचार और महंगाई से परेशान मध्यवर्ग के वोट उसकी झोली में अपने आप गिरेंगे। लेकिन आम आदमी पाटच् को जिस तरह से मध्यवर्ग और शहरी इलाकों में जोरदार समर्थन मिल रहा है, उससे बीजेपी की नींद उड़ गई है। उसे लगता है कि आप के ईमानदार छवि वाले स्थानी उम्मीदवार बीजेपी को नुकसान पहुंचाएंगे। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि केजरीवाल की नैतिक आभा को कैसे कमजोर करे। ऐसे मे वो आप के पीछे कांग्रेस को बताकर अपनी खीझ मिटा रही है।


दरअसल आम आदमी पार्टी ने बड़े पैमाने पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर किया है। पार्टी खासतौर से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और कई राज्यों के शहरी इलाकों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पार्टी की नजर में कांग्रेस और बीजेपी की आर्थिक नीतियां एक हैं जो आम आदमी को तकलीफ की अहम वजह हैं। यही वजह है कि पार्टी ने हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है और कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट अमेठी में पार्टी के बड़े नेता कुमार विश्वास राहुल गांधी को चुनौती देंगे।


बीजेपी को केजरीवाल के इन सुरों में भी राजनीतिक संदेश दिखाई दे रहा है। ये सुर ध्रुवीकरण की संभावना को कमजोर करेंगे। बहुत दिन बाद कोई ऐसी पार्टी आई है जिसे सभी धर्म और जाति के लोग समर्थन दे रहे हैं। कांग्रेस इसी जमीन पर काम करती थी, लेकिन उसकी कमजोरी ने आप को ऐसी संभावना में बदल दिया है जो बीजेपी के ख्वाब तोड़ सकती है।


जाहिर है जब बीजेपी मोदी की लहर पर केंद्र में सरकार बनाने का सपना देख रही हो तो आम आदमी पार्टी का उदय उसके सपने में सेंध की तरह ही है। आईबीएन7 के खास कार्यक्रम एजेंडा में इसी मुद्दे पर चर्चा में शामिल थे बीजेपी नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह, अहमदाबाद से कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल, लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान, आम आदमी पार्टी के गोपाल राय और हमारे एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई। (वीडियो देखें)


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