Tuesday, 7 January 2014

यूपी में भी दिल्ली जैसा खेल, महंगी ...




नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में बिजली दरों ने हाहाकार मचा दिया है। दो बार कीमत बढ़ाने के बाद सरकार ने अब भारी भरकम सरचार्ज भी ठोक दिया है। सरकार ने किसी तरह का ऑडिट भी नहीं कराया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने जिस तरह बिजली कंपनियों के ऑडिट की बात की है, उसे देखते हुए यूपी में भी बिजली की वाजिब कीमतों की मांग तेज हो गई है।


यूपी के एक आम बिजली उपभोक्ता मयूर टंडन छोटे से केमिकल कारखाने और बिजनेस ऑफिस के मालिक हैं। उनको तीन तरह के बिजली बिल अदा करने पड़ते हैं। औद्योगिक, व्यावसायिक और घरेलू। सरकार ने पहले औद्योगिक दरें 27 से 36 फीसदी तक बढ़ा दीं, फिर घरेलू बिजली 3.80 प्रति यूनिट से बढ़ाकर 5 सौ यूनिट तक 4.50 और उससे ऊपर 5 रुपये प्रति यूनिट कर दी। इतने पर ही बात थमी नहीं। अचानक पूरे बिल पर 3.71 फीसदी सरचार्ज ठोक दिया गया। यानी अब सौ रुपये के बिल पर 3 रुपये 71 पैसे सरचार्ज अलग से देना होगा, क्योंकि सरकार को घाटा पूरा करना है।


यूपी में 2001 में नियामक आयोग का गठन हुआ था। पर बिजली की दरें बिना कंपनियों के ऑडिट के बढ़ाई जाती रहीं। इस गलती को छिपाने के लिए पावर कॉर्पोरेशन ने पिछले दिनों एक प्रस्ताव सरकार को भेजा। इसके मुताबिक 2000 से 2007 तक जो दरें बढ़ाई गईं वो गलत भी थीं और कम भी। इससे 2400 करोड़ का घाटा हुआ, लिहाजा घाटा पूरा करने के लिए तीन साल तक उपभोक्ताओं से सरचार्ज वसूला जाए। खास बात ये है कि 2007 के बाद जो उपभोक्ता बने उन पर भी ये थोपा गया है।


यूपी विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि बिना ऑडिट के बिजली दरें बढ़ाई जा रही हैं। 2001 से जबसे नियामक आयोग बना है ऑडिट के बिना ही ये दरें बढ़ाई जा रही हैं और अब तो सरचार्ज भी लगा दिया गया है। महंगी बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं पर थोपी जा रही है।


लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नजर में बिजली दरों के इजाफे में सरकार का कोई हाथ नहीं है। अखिलेश यादव ने कहा कि हमको जिस हालत में पावर कार्पोरेशन मिला था उसमें हजारों करोड़ का घाटा था। हम उसे सुधारने की कोशिश कर रहे हैं ताकि कहीं भी बिजली की कमी न रह जाए। ऑडिट करना और कीमतें बढ़ाने का काम नियामक आयोग का है वो ही इस पर फैसला करेगा।


दिल्ली में बिजली की औसत दर 4.44 रुपये प्रति यूनिट है। बिहार में 3.66, पंजाब में 4.32, गुजरात में 3.96 और यूपी में 4.70। यानी सबसे महंगी बिजली यूपी में है। मंगलवार को राज्यपाल से मिलकर बीजेपी ने बिजली के खेल पर सवाल उठाया तो आम आदमी पार्टी ने साफ कहा कि घोटाला हो रहा है।


सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिजली का कुल घाटा 26 हजार करोड़ है। लेकिन सच्चाई ये भी है कि बिजली विभाग को लोगों से 29 हजार 325 करोड़ रुपये का बकाया भी वसूलना है। इसमें 10 हजार करोड़ तो सरकारी विभागों पर है। अगर सरकार बकाया वसूली कर ले तो 3300 करोड़ के फायदे में आ जाएगी। बिजली वितरण में कुल लाइन लॉस है 27 फीसदी, जबकि मानक है 15 फीसदी। अगर इसे मानक के मुताबिक कर दिया जाए तो 4 हजार करोड़ की हर साल बचत होगी।


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